कृष्ण भजन Lyrics

कृष्ण भजन Lyrics


आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द- Lyrics



आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द
अपने भक्तों की सुनले पुकार ओ गोविन्द

यमुना का पानी तोसे करता सवाल है
आके तो देख जरा कैसा बुरा हाल है
काहे तूने तोड़ लिया प्यार ओ मोहन
अपने भक्तों की...

निकला है सवा मन सोना जिस कूख से
गाय बेचारी मरीं चारे बिना भूख से
गइयों को दिया दुतकार ओ मोहन
अपने भक्तों की...

घर-घर में माखन की जगह शराब है
कलयुग की गोपियाँ तो बहुत ही खरब हैं
धर्म तो बना व्यापार ओ मोहन
अपने भक्तों की...

अब किसी द्रौपदी की बचती ना लाज है
बिगड़ा ज़माना हुए उलटे रिवाज हैं
कंसों की बनी सरकार ओ मोहन
अपने भक्तों की सुनले पुकार ओ मोहन





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नंदलाला भजन Hindi Lyrics


नंदलाला तुमको ढूंढे हर ब्रिजवाला ऐसी बजाई 
मुरली की धुन सब अपने रंग रंग डाला

धन्य यशोदा मैय्या पायो ऐसो लाल
कभी मुख छुए तो कभी चूमे गाल
मोहिनी मूरतिया रंग सांवला 
मोहिनी मूरतिया रंग सांवला

वाह रे दीवानी भई रानी मीरा
महल को छोड़ा जोगी भेष धरा
भक्ति में नाचे मन मतवाला
नंदलाला...

माखन चुराए कभी गउएं चराए
कभी गोपियाँ संग रास रचाये
तेरी लीला है न्यारी गोपाला
नंदलाला....

दीनों के दाता प्रभु मोहन मुरारी
दिल में बसाई हरी मूरत तुम्हारी
तू ही तो है मेरा रखवाला
नंदलाला तुमको ढूंढे हर ब्रिजवाला





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Kahe Van Mein Khade काहे वन में खड़े


काहे वन में खड़े मोहनजी यूँ बंसी बजाते हो
के राधा को बुलाते हो या गोपियों को रिझाते हो

में पूंछूं श्याम सुन्दर से तुम्हारे नाम हैं कितने
कभी रामा कभी श्यामा कभी कृष्णा बताते हो

में पूंछूं श्याम सुन्दर से तुम्हारे भक्त है कितने
कभी राधा कभी मीरा कभी रुक्मण बताते हो

में पूंछूं श्याम सुन्दर से तुम्हारे भोग है कितने
कभी माखन कभी मिश्री कभी मेवा बताते हो



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बड़ी देर भई नंदलाला


बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी राह तके ब्रिजवाला
ग्वाल-बाल एक-एक से
पूंछें कहाँ हैं मुरली वाला रे 

कोई ना जाने कुञ्ज गलिन में
तुम बिन कलियाँ चुनने को
तरस रहें हैं यमुना के तट
धुन मुरली की सुनने को
अब तो दर्श दिखा दे नटखट
क्यों दुविधा में डाला रे

संकट में है आज वो धरती
जिसपर तूने जन्म लिया
पूरा कर दे आज वचन वो
गीता में जो तूने दिया
तुम बिन मोहन कोई नहीं है
भारत का रखवाला रे







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मेरे मन के मंदिर में


मेरे मन के मंदिर में मूरत है घनश्याम की
मेरी सांस के इकतारे में धुन है उसी के नाम की

कितना दयालु है बंसी वाला
बिन मांगे दिया मुझको उजाला 
उज्जवल हैं मेरे सांझ सकारे
जबसे में आयी श्याम के दुआरे

देखी मन की आँखों से शोभा उसके धाम की
मेरे मन के मंदिर में ...

चरणों की में धूल उठाऊं
धूल को माथे तिलक लगाऊं
श्याम की भक्ति श्याम की पूजा
और मुझे कोई काम ना दूजा
ना सुध है विश्राम की
ना सुध है स्नान की 

मेरे मन के मंदिर में
मूरत है घनशयं की
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