Shiv Bhajan शिव भजन

ॐ नमः शिवाय बोलो भजन - Lirics

Shiv Bhajan




ओम नमः शिवाय बोलो 

ओम नमः शिवाय

शिवसम्भू का महामंत्र है
मुक्ति का उपाय

ओम नमः शिवाय बोलो
ओम नमः शिवाय


जब जब डोले जीवन नैय्या
शिव की महिमा गाओ

सारे जग के हैं वो रचैया
शिव की शरण में आओ 

संकट आये कष्ट रुलाये
जब जब जी घबराये

ओम नमः शिवाय बोलो
ओम नमः शिवाय 

आधा चंदा माथे सोहे
गल सर्पों की माला है

तेजधारी के तेज से पाए
सारा जग उजियारा है

डम डम डमरू बोले शिव
का सातों सुर दोहराये

ओम नमः शिवाय बोलो
ओम नमः शिवाय

सबसे न्यारे सबसे प्यारे
बाबा भोले भाले हैं

भांग धतूरे की मस्ती में
रहते मस्त निराले हैं

बम बम भोले कहते जाओ
जो दम आये जाए

ओम नमः शिवाय बोलो
ओम नमः शिवाय

विपदा छाई राम पे भारी
शिव शक्ति का जाप किया

बजरंगी की शक्ति बनकर
राम का शिव ने साथ दिया

रामेश्वर की पूजा करके
राम यही फरमाएं

ओम नमः शिवाय बोलो
ओम नमः शिवाय



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जहां शिवजी विचरण करते हैं

मथुरा, अयोध्या, हरिद्वार
द्वारिका, अवंतिका, कांची

पूरी सात हैं मोक्षदायिनी
सबसे बढ़कर है काशी

जय विश्वनाथ ओम नमः शिवाय
जय विश्वनाथ ओम नमः शिवाय 

जहां शिवजी विचरण करते हैं
उस भूमि को काशी कहते हैं

ये मोक्षदायिनी काशी है
ये पतित पाविनी काशी है

हम काशी के पावन रजकण को
नित अपने शीश पे रखते हैं

आनंदवन रुद्रवास है ये
शिव काशी वाराणसी

महासमशान है तपस्थली
मुक्त भूमि वाराणसी


त्रिपुरारी की नगरी है ये

शिव संभु की है ये पुरी


जनविपदाहरिणी नगरी ये
गंगा तट हारिणी नगरी

जहां पाप सभी के मिटते हैं
उस भूमि को काशी कहते हैं

शिव त्रिशूल पे ठहरी हुई है
परम पाविनी ये काशी

परम भक्ति की खान है ये
जन मन भावन ये काशी

सकल देवता अनगिनत रूप से
नित्य ही पूजन करते

ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर जी का
नित दर्शन करते रहते

जहां विश्वनाथ जी बसते हैं
उस भूमि को काशी कहते हैं

ये मोक्षदायिनी काशी है
ये पतितपाविनी काशी है

हम काशी के पावन रज कण को
नित अपने शीश पे धरते हैं




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भजमन शंकर भोलेनाथ

भजमन शंकर भोलेनाथ
डमरू मधुर बजाने वाले

पूरन ब्रह्म सदा अविनाशी
शीश जटा जल गंग विलासी

मुक्ति हेतू बसाई काशी
विजया भोग लगाने वाले

भजमन शंकर भोलेनाथ
डमरू मधुर बजाने वाले

अंग विभूति गले मुंडमाला
कर त्रिशूल पहने मृगछाला

भोले ऐसे दीन दयाला
बिगड़े काम बनाने वाले

भजमन शंकर भोलेनाथ
डमरू मधुर बजाने वाले

सकल मनोरथ पूर्णकारी
भावयु मेट सके त्रिपुरारी

गिरिजापति कैलाश बिहारी
प्रभु महादेव कहाने वाले

भजमन शंकर भोलेनाथ
डमरू मधुर बजाने वाले

जो नित गान प्रभु का गावे
सब सुख भोग परम पद पावे

सेवक निसदिन शीश नवावें
आवागमन छुड़ाने वाले

भजमन शंकर भोलेनाथ
डमरू मधुर बजाने वाले


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श्री गिरिजापति शंकर महेश


श्री गिरिजापति शंकर महेश
सुन लीजे प्रभि अर्ज हमारी

तुम परमपिता जगपालक
हम मूढ़ अबोध हैं बालक
तुम देव हो हम हैं पुजारी 

भव सिंधु हमारी नैय्या है
कोई ना पार लगिय्या है

हो केवल तुम ही खिवैय्या
कैलाशपते त्रिपुरारी

लख दसा हमारी स्वामी
अपनाओ अन्तर्यामी

हम हैं सेवक खलकामी
बाबा भोले भंडारी

हम द्वार उमेश तुम्हारे
ठाड़े हैं हाथ पसारे

दो दया दान अब प्यारे
हे जग प्रसिद्व दातारि

श्री गिरिजापति शंकर महेश
सुन लिजे प्रभि अर्ज हमारी

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लाख दुखों की एक दवा है

लाख दुखों की एक दवा है
जो चाहे आजमाए

ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

मुनि मार्कण्डेय ने
मौत को देखके मंत्र उच्चारा

शिव दौड़े कैलाश छोड़कर
ओर यम को ललकारा

जहां कृपा हो महाकाल की
वहां काल ना जाय

मंत्र नहीं साधारण है
ये है मुक्ति का दाता

जल अग्नि वायु नभ धरती
सबका है निर्माता

इन्हीं पांच अक्षर में
शिव का रूप नजर आ जाये

ऋषि मुनि दानव मानव में
समझे ना कोई अंतर

मिला उसे वरदान जो
जपता मंत्र यही निरंतर

ॐ नमः शिवाय मंत्र
ये सारे कष्ट मिटाये

उठत बैठत सोवत जागत
भक्तों जपो ये मन से

पलट जाए किस्मत का पन्ना
भक्ति और भजन से

सुख की गंगा फिर जीवन में
लहर लहर लहराए




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हर हर महादेव

हर हर महादेव शिव शंकर त्रिपुरारी
हर हर महादेव शिव शंकर त्रिपुरारी

सागर तट पर पूजें
तुमको राम धनुर्धारी

शंकर से संकट भागे
ओर शत्रुन छेकारी

माथे पे गंग तेरे
लिपटे भुजंग तेरे

भभूति अंग तेरे सोहे
भूतन का संग तेरे

पीने को भंग तेरे
भाल पे चंद्र मन मोहे

जय जय शंकर त्रिपुरारी
जय जय शंकर त्रिपुरारी

भक्तों के काज सारे
असुरों को तू संघरे

करते नंदी की सवारी
जग के संघार कर्ता

डमरू त्रिशूल धर्ता
यश गाते वेदचारी

हर हर महादेव शंकर त्रिपुरारी
हर हर महादेव शंकर त्रिपुरारी


गिरिजापति दीनदयाला

गणपति है तुम्हरे लाला

पल में करते हो बोलबाला
पसुपति तू है रखवाला

विश्वनाथ जय महाकाला
प्रभु संतन के हो प्रतिपाला

जय जय शंकर त्रिपुरारी
जय जय शंकर त्रिपुरारी



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शंकर के द्धारे चले काँवरिया

शंकर के द्धारे चले काँवरिया
भोले के प्यारे चले काँवरिया

जय हो तेरी हे त्रिपुरारी
तीन लोक तुझपे बलिहारी
गुण गाएँ तेरे नरनारी 

ॐ ॐ ॐ

हे शक्ति त्रिशूलधरण 
रस्ते में जितने शूल मिलें

पैरों में चुभें जितने कांटे
उतने श्रद्धा के फूल खिले

विश्वाश अगर दृढ है अपना
मुश्किल रस्ते काट जायेंगे

कांधे पे लिए हम काँवर ये
कब तेरी शरण में आएंगे

चलते चलते चलते जाओ
बम भोले का ध्यान लगाओ

मन में सच्चा ज्ञान जगाओ
ॐ ॐ ॐ ॐ 

कानों में आवाजें आती हैं
तेरे मंदिर में जो शंख बजे

उड़कर पहुंचेंगे द्धार तेरे
हमको भक्ति के पंख लगे

इस मन में तेरे दर्शन की
अब इच्छा हो गई तीव्र बड़ी

ना विपदा कोई रोक सके
ना रोक सकेगी धूप कड़ी

चलते चलते चलते जाओ
बम भोले का ध्यान लगाओ

मन में सच्चा ज्ञान जगाओ
ॐ ॐ 

शिव ॐ का जाप करें
रस्ते की काम हो जाएगी दूरी

कब चढ़ें काँवरिया द्धार तेरे
कब ये अभिलाषा हो पूरी

आँखों से गंगाजल छलके
हाथों में काँवरिया है तोरी

तू खींच ले अपनी तरफ हमें
तेरे हाथ में है सबकी डोरी

चलते चलते चलते जाओ
बम भोले का ध्यान लगाओ

मन में सच्चा ज्ञान जगाओ
ॐ ॐ 



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चार उँगलियाँ एक अंगूठा

चार उँगलियाँ एक अंगूठा

जग झूठा सच नाम है शंकर

वृक्ष में बीज बीज में बूटा
अजब अनूठा नाम है शंकर


गुण में तेज ज्ञान में ज्योति

घन में चमक बूंद में मोती


देह में प्राण नयन में ज्योति

सर्व कला गुणधाम है शंकर


भ्रम में जगत जगत में त्र्मता

वेद में भेद भेद में क्षमता


मोह में जीव जीव में ममता

घट घट रमता नाम है शंकर


सुख में शोक लोभ में क्रीड़ा

दुःख में शोक रोग में पीड़ा


श्रम में भोग योग में वीणा

त्रम क्रीड़ा अभिराम है शंकर


मुँह में अगन पवन अरु धीरा

सब में गहन गगन गंभीरा


पंच तत्व का देव शरीरा

ये हीरा शिव नाम है शंकर






बैल की सवारी करे

बैल की सवारी करे डमरू बजाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये

ॐ नमः शिवाये ॐ नमः शिवाये
ॐ नमः शिवाये ॐ नमः शिवाये 



रचना रचा के आप खेले रे खिलाड़ी

कहीं पे बना वो राजा कहीं पे भिखारी

रचना रचा के आप खेले रे खिलाड़ी
कहीं पे बना वो राजा कहीं पे भिखारी

रोने लगा हार के वो जीत के हंसाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये


बाघम्बर लपेटे वो पहने नागमाला

हाथों में त्रिशूल धरे नाम भोलाभाला


बाघम्बर लपेटे वो पहने नागमाला
हाथों में त्रिशूल धरे नाम भोलाभाला

दीनों पे दयाल होके लक्ष्मी लुटाए
जग के ताप हरे सुख बरसाये


स्वर्ग से उतारी गंगा जटा में समाई

भगतों को तारने धरती पे आई


भाल नेत्र ज्वाला से वो पापों को जलाये
जग के ताप हरे सुख बरसाए


महादेव महादानी जग रखवाला 
शरण में आये को कर दे निहाला 


उसकी लीला कौन जाने उसके सिवाय
जग के ताप हरे सुख बरसाए 

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय




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भोले ने बुलाया - कांवर भजन 

भोले ने बुलाया चल -चल कावरिये 
बाबा ने बुलाया  चल -चल काँवरिये

बाबा ने देखो हम सबको बुलाया 
भोले की माया जैसे धूप और छाया
महिमा तेरी न्यारी मेरे भोले बाबा 

जो कांवर भर के लाये
जो भोले को नहलाये

वो मन चाहा फल पाए
भव सागर से तर जाये 

वो घड़ियां जल्दी आएं

जब आखियाँ दर्शन पाएं 

क्या देख रहा है तू दूरी
चल इच्छा कर ले तू पूरी

शिव का तुझको धाम मिलेगा

वहीँ तुझे विश्राम मिलेगा

 मनवांछित फल पायेगा तू
शिवजी को जो ध्यायेगा तू

तू कड़ी धूप में तपता जा

तू शिव की माला जपता जा

कण -कण में उसकी मूरत है

कण -कण में उसको तकता जा

बाबा के दर्शन की धुन लागी
हुए हैं हम शिव के बैरागी
बाबा हैं भोले भंडारी भोले बाबा



वो डमरू जिसका बाजत
 माथे पर चंद्र विराजत

गंगा धारण करने वाला
सर्पों की वो पहने माला


तू करले अपनी तीव्र गति 
तेरा पथ लेंगे जति सती


किस चीज की चिंता करता है
तुझे मिल जायेगा उमापति


शरणागत शिवजी का हो जा 
शिवजी की भक्ति में खो जा


अंतरपट में डूब जा अपने
भोला तुझको लगेगा दिखने


ये जीवन झूठा सपना 
हो शिवजी तेरा अपना


तू पंचभूत का बंधन
करले शिवजी का वंदन


बाबा के दर्शन की धुन लागी 
हुए हैं हम शिव के बैरागी

बाबा हैं भोले भंडारी भोलेबाबा
भोले ने बुलाया चल -चल कावरिये 
बाबा ने बुलाया  चल -चल काँवरिये

ये कांवर एक प्राचीन कथा
है एक पुरानी सत्य कथा

इसकी महिमा सबको है पता
ये दूर करे दुःख दर्द व्यथा

वो शिवजी हैं करता कारण
कर उसके नाम का उच्चारण

वो कड़ी परीक्षा लेता है
फिर परम मोक्ष दे देता है


सकल जगत है शिव का खेला
जीवन है दो दिन का मेला


शिव की करले चलके सेवा
शिवजी हैं देवों के देवा


वो सबके लिखता लेखे
वो दूर से सबको देखे


तू रस्ते में क्या सोचे
ये सोचके तू पहुंचे


बाबा के दर्शन की धुन लागी
हुए हैं हम शिव के बैरागी
बाबा हैं भोले भंडारी भोले बाबा


भोले ने बुलाया चल -चल कावरिये 

बाबा ने बुलाया  चल -चल काँवरिये

सुनें - भोले ने बुलाया



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अजब है तेरी माया


अजब है तेरी माया
इसे कोई समझ ना पाया


गज़ब का खेल रचाया
सबसे बड़ा है तेरा नाम


भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ


पारब्रह्म परमेश्वर तू है
हर कोई जाने रे


सब तेरे बालक हैं
क्या अपने बेगाने रे


तू अन्तर्यामी सबकी
पीड़ा पहचाने रे


सबके ह्रदय में बैठा
घट घट की जाने रे


अजब है तेरी माया
इसे कोई समझ ना पाया


गज़ब का खेल रचाया
सबसे बड़ा है तेरा नाम


भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ


हे योगेश्वर योग से
तूने जगत बनाया है


तन पे अपने भस्म रमा के
अलख जगाया है


कहीं धूप के रंग सुनहरे
कहीं पे छाया है


तूने किया है वही
जो तेरे मन को भाया है


अजब है तेरी माया
इसे कोई समझ ना पाया

गज़ब का खेल रचाया
सबसे बड़ा है तेरा नाम

भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ

भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ

अदभुत है संसार यहाँ पर
कई कुलेखे हैं


तरह तरह के खेल
जगत में हमने देखे हैं


तू है भाग्यविधाता
तेरे लेख सुलेखे हैं


तू लिखने वाला है
ये सब तेरे लेखे हैं

अजब है तेरी माया
इसे कोई समझ ना पाया

गज़ब का खेल रचाया
सबसे बड़ा है तेरा नाम

भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ

भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ

सुनें - अजब है तेरी माया

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हे शिव मेरे

हे शिव मेरे अपनी करुणा
मुझपर भी बरसा

तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना

सबका दुःख अपना दुःख समझूँ
धर्म यही हो मेरा

अवगुण सारे गुण में बदलूँ
कर्म यही हो मेरा

हे भगवान् मेरे कर्मों को
चन्दन सा महका

तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना

मृग तृष्णा के पीछे पीछे
में तो हरदम भागा

जीवन का कुछ अर्थ ना समझा
देर से में तो जागा

इससे पहले टूट ना जाये
सांसों का धागा

तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना

हम हैं मानव हो जाती है
हमसे भूल कभी

जब पछताए आ जाते हैं
हम तो शरण तेरी

हर लेते हो पलभर में तुम
मन का दुःख सारा

तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना

तुमसे केवल में तो इतना
मांग रहा हूँ दाता

जन्म जन्म तक रखना मुझसे
प्रेम भरा ये नाता

हो जाये हर जन्म सफल
तू ऐसी राह दिखा

तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना

तुम तो जानो घट घट वासी
हर मन की हर भाषा

धन्य हो मेरा जन्म जो पूरी
कर दो ये अभिलाषा

लगूं कंठ से बनकर तेरे
में रुद्राक्ष तेरा

तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना




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मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी


मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
अपने भोले की जोगन बनूँगी


मैं तो पहनूंगी जोगन का चोला
वो हैं पारस महादेव भोला


चरण छूकर मैं कुंदन बनूंगी
अपने भोले की जोगन बनूँगी


नहीं मिलते हैं अनुरागियों को
शिव तो मिलते हैं बैरागियों को


मैं भी शिव की बैरागन बनूँगी
अपने भोले की जोगन बनूँगी


करके जी जान से शिव की भक्ति
शिव से मांगूंगी नारी की मुक्ति


नारी जाती का दर्पण बनूँगी
अपने भोले की जोगन बनूंगी




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मन के दुःख संताप मिटेंगे


मन के दुःख संताप मिटेंगे
नाम रटेंगे जय शिव शंकर

जय शिव शंकर नमो नमः
जय शिव शंकर नमो नमः

भव बंधन के पाप घटेंगे
दुःख मिटेंगे जय शिव शंकर

जय शिव शंकर नमो नमः
जय शिव शंकर नमो नमः


कित जाएँ बीहड़ रस्ता है
ना कुछ तेरा अता पता है

जनमानस की बुरी दसा है
कष्ट प्रदा है हे शिव शंकर

हे शिव भोले करता कारण
तेरे नाम का करें उच्चारण
तू करता है कष्ट निवारण

मन के दुःख संताप मिटेंगे
नाम रटेंगे जय शिव शंकर

जय शिव शंकर नमो नमः
जय शिव शंकर नमो नमः


व्यर्थ उमरिया बीत रही है
जीवन सरिता सूख गई है

दुखी आत्मा तृप्त भई है
सुमर रही है जय शिव शंकर

धुंदलाया प्रतिबिम्ब धर्म का
हुआ मोतियाबिंद भरम का
ये सारा है दोष करम का

मन के दुःख संताप मिटेंगे
नाम रटेंगे जय शिव शंकर

जय शिव शंकर नमो नमः
जय शिव शंकर नमो नमः


मन मति मंद दीन अति लोभी
कुंठित दीन हीन अति भोगी

ना जाने कब मिलोगे जोगी
कृपा होगी हे शिव शंकर

तीन लोक के तुम रखवाले
सबकी विनती सुनने वाले
इन चरणों में हमें बिठाले

मन के दुःख संताप मिटेंगे
नाम जपेंगे जय शिव शंकर

जय शिव शंकर नमो नमः
जय शिव शंकर नमो नमः

सुनें  - Mann Ke Dukh Santap


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शिव सेवक हैं 

शिव सेवक हैं तुम और हम
बम बम बम बोलो बम बम बम


शिवजी के चरणों का ध्यान धरके
नागों वाले प्रभु का दीदार करके


बिगड़ी है बन जाती शिव शरणम्
बम बम बम बोलो बम बम बम

भक्त दुआरे नित आते रहते हैं
जयकारे शिव के लगते रहते हैं

संतों का डेरा है शिव आश्रम
बम बम बम बोलो बम बम बम


नागपति रखते है पत् सबकी
करते हैं रक्षा ये सारे जग की


भक्तों के संग ज्योति भोले हरदम

बम बम बम बोलो बम बम बम

सुनें  - Shiv Sewak Hain


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शिव शिव बोल प्यारे


शिव शिव बोल प्यारे
सदा शिव बोल रे

आके शिव चरणों में
भाग तू खोल रे

मेरे शिव शंकर की
महिमा अपार है
महिमा अपार है

जगत पिताजी करें
सबका उद्धार
सबका उद्धार हैं

अपनी जुबां से बंदे
मीठे बोल बोल रे


शिव शिव बोल प्यारे

सदा शिव बोल रे

उठके सवेरे पढ़
शिव की ही वाणी
शिव की ही वाणी

तेरे प्राणनाथ वो ही
अन्तर्यामी अन्तर्यामी

हीरा जन्म तेरा
बड़ा अनमोल रे


शिव शिव बोल प्यारे

सदा शिव बोल रे

भूलके भलाई काहे
करता तू पाप रे
करता तू पाप रे

कष्ट मिटेंगे तेरे
कर शिव जाप रे
कर शिव जाप रे

कहता सलीम शिव के
होते ना डोल रे


शिव शिव बोल प्यारे

सदा शिव बोल रे





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महादेव शंकर

महादेव शंकर हैं
जग से निराले


बड़े सीधे साधे
बड़े भोले भाले


मेरे मन के मंदिर मे
रहते हैं शिवजी


ये मेरे नयन हैं
उन्हीं के शिवालय


बना लो इन्हे
अपने जीवन की आशा


सदा दूर तुमसे
रहेगी निराशा


बिना मांगे वरदान
तुमको मिलेगा


समझते हैं वो तो हर
एक मन की भाषा


वो उनके हैं जो
उनको अपना बना लें


महादेव शंकर हैं
जग से निराले



जिधर देखो शिव की है
महिमा निराली


ये दाता हैं और
सारी दुनिया सवाली


जो इस द्धार पे अपना
विश्वाश करले


तो पलभर में भर जाएगी
झोली खाली


उन्हीं के अँधेरे
उन्हीं के उजाले


महादेव शंकर हैं
जग से निराले


बड़े सीधे साधे
बड़े भोले भाले


बड़े सीधे साधे
बड़े भोले भाले

सुनें  - Mahadev Shankar


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शिव शिव रटले रे बन्दे

 शिव शिव रटले रे बन्दे
जीवन है ये थोड़ा

दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा


पल पल बीत रही ज़िंदगानी

कल की चिंता करले रे प्राणी


ना जाने कब टूट पड़े 
माथे पे काल हथोड़ा

दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा


ना मेरा ना तेरा बाबू
इस घोड़े पर प्रभु का काबू


परमपिता ही इसे चलाता
दिखा दिखा के कोड़ा

दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा


रंगमहल के दस दरवाजे
कहते रोज बजा कर बाजे


बता ए दुनिया वाले तूने
कितना पुण्य है जोड़ा

दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा


चल भाई करले प्रभु की भक्ति
भक्ति में है अदभुत शक्ति


इस भक्ति ने है करोड़ों
लोगों का पथ मोड़ा


दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा
दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा

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