गठिया ( वात ) रोग क्या है
इस रोग में प्रायः घुटनों के जोड़ वाले स्थान पर सूजन अथवा जमाव के कारण दर्द रहने लगता है।यह रोग 30 से 50 वर्ष की आयु में स्त्रियों को अधिकतर होता है।
इसमें रोगी को चलने फिरने में असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। रोग अधिक बढ़ने पर हाथों की उँगलियों का स्वरुप बिगड़ जाता है।
अन्य हड्डियां भी कुछ हद तक प्रभावी हो जाती हैं।
इस रोग का मूल कारण यूरिक अम्लों का बढ़ना है। वायु बढ़ाने वाले पदार्थों के अधिक सेवन,विरोधी खान-पान, पानी में अधिक समय तक रहने या काम करते रहने आदि कारणों से यह रोग हो जाता है।
लक्षण
सुबह उठते ही हाथ पैरों में जकड़न महसूस होती है। रोग की शुरुआत में मामूली बुखार भी बना रहता है। जोड़ों में दर्द व सूजन बढ़ने से चलने-फिरने व उठने-बैठने में बेचैनी होती है बार-बार पेशाब आना,ह्रदय में जकड़न होना तथा जोड़ों में सूजन बने रहना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
उपचार
हल्दी, सोंठ, मेथी ये तीनों ही चीजें आपको आसानी से किसी भी पंसारी की दुकान पर मिल जाएंगी इन तीनों चीजों को बराबर मात्रा में लेकर अलग-अलग बारीक पीस लें।
सुबह रोज चाय वाला आधा चम्मच हल्क़े गर्म पानी के साथ 3 माह तक सेवन करते रहने से किसी भी तरह का दर्द हो यहाँ तक की चोट का दर्द भी ठीक करने में ये औषधि कारगर साबित हुई है।
आराम तो 1 सप्ताह में ही दिख जायेगा किन्तु रोग को जड़ से खत्म करने के लिए औषधि को 3 माह तक सेवन करें।
सुबह रोज चाय वाला आधा चम्मच हल्क़े गर्म पानी के साथ 3 माह तक सेवन करते रहने से किसी भी तरह का दर्द हो यहाँ तक की चोट का दर्द भी ठीक करने में ये औषधि कारगर साबित हुई है।
आराम तो 1 सप्ताह में ही दिख जायेगा किन्तु रोग को जड़ से खत्म करने के लिए औषधि को 3 माह तक सेवन करें।
अगर आप को इसके बारे में अपनी राय देनी है तो आप कमेंट करके अपने सुझाव दे सकते हैं स्वस्थ्य रहे सुखी रहें।
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